१६वी सदी में भारत के बादशाह अकबर के भब्य दरबार में चित्रकारों का एक समूह बादशाह के जीवन-बृत्यान्त को अपने चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करने का श्रमपूर्ण कार्य कर रहा है। बेहज़ाद अकबर के मुख्या चित्रकार का बीटा है और इसी नाते उसका पालन-पोषण उसका भाबी उत्तराधिकार के रूप में ही किया जाता है। बेहज़ाद जन्मजात प्रतिभासम्पन्न है लकिन उसकी परवरिश दुनिया के जथारथ से दूर आगरा सहर के बिषा और भब्या क़िले के भीतर की जाती है। लेकिन जैसे ही उसकी प्रतिभा की बात दुनिया के सामने अति है, उसके भड़काऊ और गोपनीय चित्र के बारे में अजीबोगरीब अफवाहें सुनकर उसके दुश्मन खुलकर उसके सामने आ जाते है। वे उस क्षण के प्रतीक्षा करने में लगे है की एकबार वह युवा चित्रकार राजदरबार की निर्धारित मर्यादाओ की तोर और वे उसकी कला को उसके ही बिरुद्ध उपयोग कर उसके जीवन सदा के लिए तबाह कर दे।